Wednesday 26 July 2017

बारीश भी तेरे आंखों से

ये बारीश भी तेरे आंखों से निकली है
घनघोर निशा भी जैसे तेरे जुल्फों से निकली है
जो सवेरा हो जाये वो भी तेरे मुस्कान की कली है

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