Friday 7 July 2017

नासमझ ज़माना खुश हैं

हवा चुरा ले गयी थी 
मेरी ग़जलो की किताब 
देखो, आसमां पढ के रो रहा है 
और नासमझ ज़माना खुश हैं कि बारिश हो रही है....

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