Tuesday 2 May 2017

suvichar

आदरणीय Narendra Modi जी सादर प्रणाम,
वो वर्दी में लिपटी हुई मशीन नहीं है प्रधानमंत्री जी, जिसे पॉवर ऑन करके और हाथ में बंदूक थमाकर सीमा पर छोड़ दिया गया है। एक जीता जागता इंसान है वो जिसके घर वालों को आज उसके सिर विहीन पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करना पड़ा !!!
शायद आप उनका दुःख समझ सकते हैं ? आप समझ सकते हैं उस माँ की व्यथा ? कुछ वर्षों पहले तक, विद्यालय की छुट्टी के समय से पहले ही जिसकी नजरें रह रह कर घड़ी की सुइयों पर टिक जाती होंगी की बेटा आने ही वाला है। उसे मेहनत से पढाई करते और कॉम्पिटिशन की तैयारी करते देख देख फूली नहीं समाती होगी !!! आप दे सकते हैं उसे सांत्वना ? आपकी कड़ी निंदा उसके कलेजे को ठंडा कर सकती है ?
हमें नहीं समझ आता विदेश नीति क्या है, कूटनीति क्या है ? यदि युद्ध विकल्प नहीं है तो सेना क्यों रखते हैं आप ? और ये जो चल रहा है ये क्या है ? युद्ध तो निरंतर चल रहा है, रोज सैनिकों के शव आ रही हैं, रोज मातम मनाया जाता है, बस आपका उसे देखने का नजरिया ही पहले की सरकारों की तरह ही दिख रहा है। कुछ नहीं बदला !!!
चलिए मान भी लें की यही विवशता है तो अन्य क्षेत्रों में आप कुछ क्यों नहीं करते दिख रहे हैं ?
आप पाकिस्तान को MFN का दर्जा किस नीति के तहत जारी रखे हुए हैं ?, सिंधु समझौता ठीक से लागू न करने के पीछे आपकी क्या विवशता है ?, आप विश्व की बात करते है, आप ने क्यों उसे आतंकवादी देश घोषित नहीं किया अभी तक क्या मज़बूरी है ?, क्यों आप उनसे आर्थिक और राजनयिक सम्बन्ध समाप्त नहीं कर सकते ?
प्रश्न तो उठेंगे और बड़े गर्व के साथ जिम्मेदारी आपने उठाई है तो उत्तर भी आपको ही देने पड़ेंगे।
कुछ कीजिए प्रधानमंत्री जी ताकि आपके समर्थकों में भी गहरी होती निराशा के बादल छटे, कोई रास्ता निकालिए। केवल मोदी जी का नाम काफी नहीं है, जो हर परिस्थिति में आपका तारणहार हो जाए, कुछ सार्थक प्रयास भी दिखना चाहिए। कुछ कीजिए सबकी नजरें आप पर टिकी हैं जिन्होंने विश्वास किया है आप पर।

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