बटुए को कहाँ मालूम
पैसे उधार के हैं...
वो तो बस फूला ही रहता है
अपने गुमान में...
ठीक यह ही हाल हमारा है
साँसे उस प्रभु की उधार दी हुई है।
पर ना जाने गुमान किस बात पर है। हरी ऊँ
पैसे उधार के हैं...
वो तो बस फूला ही रहता है
अपने गुमान में...
ठीक यह ही हाल हमारा है
साँसे उस प्रभु की उधार दी हुई है।
पर ना जाने गुमान किस बात पर है। हरी ऊँ
0 comments:
Post a Comment