Friday 25 August 2017

यकीन ए फरेब से रूबरू हो जाता हूं।।

अक्सर परवाह दुसरो की कर।।
खुद बेपरवाह हो जाता हूं
नादां है दिल मेरा जो यकीन कर
यकीन ए फरेब से रूबरू हो जाता हूं।।
आज लफ्ज़ नही बयां करने को
बस एक यकीन और फरेब में ही गुम हो जाता हूं

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